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राजनीति में महिलाओं की डमीं नहीं वास्तविक भागीदारी की ज़रूरत

चुनाव जीतकर आई महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों पर उनके परिजनों का असंवैधानिक कब्जा तोड़ना ज़रूरी सुनिए जी ! चुनाव जीतकर आई महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग बंद कर दीजिएगा ! वरना जनता जनार्दन वोटो से ज़वाब देना जानती है महिला आरक्षण 33 प्रतिशत फिक्स हुआ - चुनकर आई महिलाओं के पति पुत्र परिवार वालों द्वारा उनके संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग को रोकना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानीं गोंदिया गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत नारी की पुज्यनीय भूमि है यहां आदि-अनादि काल से नारी का सम्मान किया जाता है जो मां लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा काली माता सीता इत्यादि जहां अनेक ऐतिहासिक किस्से दर्ज हैं, वहीं देश की राष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष प्रधानमंत्री सहित अनेक महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर भारतीय नारी आसीन होकर सफ़लताओं के झंडे गाढ़ चुकी है। नारी शक्ति के सम्मान को आगे बढ़ाते हुए 21 सितंबर 2023 का वह ऐतिहासिक पल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से शामिल हो गया है, जब संसद के उच्च सदन राज्यसभा में देर रात्रि 214 वोटो से संविधान के 128 वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर नारी शक्ति वंदन विधायक 2023 पर मोहर लगाते हुए महिलाओं का विधानसभा लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण पर मोहर लगा दी। बता दें लोकसभा ने 20 सितंबर 2023 को ही 454/2 बहुमत से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया था। बता दें स्थानीय स्तरपर भी पंचायत समितियों निकायों स्तर पर पहले भी 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू है परंतु इन स्तरोंपर महिलाआरक्षण का एक कटु सत्य अनुभव अक्सर प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुनाई देते रहता है किचुनकर आई महिलाओं के पति पुत्रों देवर या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा महिला के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर खुद असंवैधानिक रूप से बैठकों, नीति निर्धारण, आदेशों निर्देशों, ठेकेदारी दबंगई सहित अनेक प्रत्यय किए जाते हैं यहां तक कि अपनी पत्नी मां या रिश्तेदार के संवैधानिक अधिकार के सील ठपे भी अपने पास रखते हैं और समय, धन, मांग को देखकर उसका उपयोग करते हैं। यह सब नजारे मैनें खुद ने भी हमारे स्थानीय प्रशासन में महिला पार्षद के पति या पुत्रों को करते हुए स्वयं देखा है। होता यह है कि महिला को चुनाव में भी उनके परिजनों द्वारा धूमधाम से उतारा जाता है और जिताया भी जाता है।फिर महिलाका स्थान घर हो जाता है और बाहर का खेला उनके पति या पुत्रों द्वारा किया जाता है। यानें संवैधानिक कार्य को असवैधानिक व्यक्ति विशेष द्वारा किया जाता है जिसे अत्यंत कढ़ाई से ध्यान देने को रेखांकित करना ज़रूरी है। माननीय पीएम से इस आर्टिकल के माध्यम से मेरा विशेष निवेदन है कि इस कुत्य को रोकने के लिए पार्टी और शासकीय स्तरपर नीति निर्धारण करना समय की मांग है, ताकि महिलाओं को दिखावटीभागीदारी नहीं बल्कि वास्तविक भागीदारी दिलाई जा सके। चूंकि 33 परसेंट आरक्षण पारित हो चुका है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, महिला आरक्षण 33 प्रतिशत फिक्स हुआ अब चुनकर आई महिलाओं के पति पुत्र परिवार वालों द्वारा उनके संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग को रोकना ज़रूरी है। साथियों बात अगर हम महिलाओं के रिश्तेदारों द्वारा असंवैधानिक दखलंदाजी की करें तो, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण कर रखा है। लेकिन नगरीय निकाय में आज भी चुनकर आई महिला पार्षदों के स्थान पर उनके पति, पुत्र, भाई, अन्य रिश्तेदार महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जाती रही हैं। निगम में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण किया गया है। जिसके तहत पार्षद महिलाएं चुनकर आती हैं। महिला पार्षद हैं, लेकिन आधे से ज्यादा पार्षदों का कामकाज उनके पति, पुत्र, भाई, देवर या अन्य रिश्तेदार संभाल रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकारों के वर्षों पुराने आदेश को निगम आयुक्त बार बार जारी किया करते है, कि नगरीय निकायों के कामकाज संचालन के दौरान बैठक समेत अन्य कार्यों में महिला पदाधिकारी के कोई भी सगे संबंधी/रिश्तेदार भाग नहीं लेंगे और न ही कोई हस्तक्षेप या दखलंदाजी करेंगे। निर्देश का पालन नहीं होता है तो नगर पालिक निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई बिना भेदभाव के और बहुत ही गंभीरता से की जाए। पंचायतों में भी महिला जनप्रतिनिधियों के पति या परिवार के अन्य सदस्य उनका कामकाज संभालते है। महिलाएं केवल मुहर बनकर रह गई है। अनेक स्थानीय निकायों में ऐसा होता है कि चुनाव से पहले पार्षद पद के लिए महिला उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं, रिश्तेदारों के साथ जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया करते है। लेकिन चुनाव के बाद कई मतदाताओं ने महिला पार्षदों की शक्ल नहीं देखी हैमतदाताओं का कहना है कि समस्याओं के निराकरण के लिए मोबाइल फोन लगाने पर महिला पार्षद के पति, पुत्र से ही बात होती है। वे समस्याएं सुनकर निराकरण करा देते हैं। महिला पार्षद के पति-पुत्र ही वार्ड विकास की रणनीति बनाते देखे जाते हैं। शहर गांव के लोगों ने जिन महिलाओं को पार्षद चुना, वे कुछ महीने बाद ही घर बैठ जाती है, जबकि उनके रिश्तेदार पार्षदी कर रहे हैं। हर 5 सालों के अंदर जनता के वोटों से शहर गांव के महिला पार्षद चुनी जाती है। लोगों ने अपने वार्ड की जिम्मेदारी सौंपी लेकिन चुनी हुई महिलाओं के रिश्तेदारों ने उनके अधिकारों पर कब्जा कर लिया। मतदान का परिणाम अाने तक ही महिला प्रत्याशी जनप्रतिनिधि के रूप में नजर आती हैं। जीत के बाद मोहल्लों में जुलूस भी निकाला। इसके बाद पुरुष प्रधान समाज ने महिला जनप्रतिनिधि के पार्षद पद पर कब्जा कर लेते हैं। किसी का बेटा तो किसी का भाई, भतीजा, देवर, पति और ससुर स्वयंभू पार्षद बन गए। पार्षदों के ये रिश्तेदार समय-समय पर निगम की विभागीय समितियों की बैठकों में शामिल भी होते रहे हैं। साथियों बात अगर हम इसके नियमों की करें तो नियमानुसार चुने हुए जनप्रतिनिधि ही निगम की बैठकों में शामिल हो सकते हैं। अन्य व्यक्ति को संवैधानिक रूप से विभागीय बैठकों में बैठने का अधिकार नहीं है। निगम की व्यवस्था विधानसभा अौर लोक सभा की तर्ज पर ही चलती है। योजना समिति की बैठक में पार्षद के भतीजेनिगम सभागृह में, योजना समिति की बैठक में, पार्षद के रिश्तेदार शामिल होते रहे हैं। बैठक में विचार-विमर्श भी करते रहें है। बात को अनसुनी करने या कुछ कहने पर दबंगई करने से भी परहेज नहीं की जा रही है ऐसा करीब करीब अनेक नगरों में होता है। साथियों बात अगर हम 21 सितंबर 2023 को पारित नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023 की करें त, आखिरकार राज्यसभा से भी महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया. बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। इससे पहले लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था। अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल, कानून बन जाएगा हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम होगा. उच्च सदन में विधेयक पारित के बाद दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है। जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 केलोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा। 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा. सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनाव जीतकर आई महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों पर उनके परिजनों का असंवैधानिक कब्जा तोड़ना ज़रूरी।सुनिए जी ! चुनाव जीतकर आई महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग बंद कर दीजिएगा ! वरना जनता जनार्दन वोटो से ज़वाब देना जानती है।महिला आरक्षण 33 प्रतिशत फिक्स हुआ - चुनकर आई महिलाओं के पति पुत्र परिवार वालों द्वारा उनके संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग को रोकना ज़रूरी है। *-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

2024 की कामना - वैश्विक महामंदी से हो सकता है सामना

दुनियां में वर्ष 2024 में महामंदी छाने की संभावनां दुनियां की सभी अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल भारी नरमी देखने को मिल सकती है, जो महामंदी का रूप ले सकती है - एडवोकेट किशन भावनानीं गोंदिया गोंदिया - वैश्विक स्तरपर करीब करीब हर देश कोविड महामारी के जबरदस्त झटका से उनकी अर्थव्यवस्थाओं के बुरी तरह से चपेट में आने से अभी तक पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं कि फिर यूक्रेन-रूस युद्ध, अनेक देशों में आपसी बिगड़ते रिश्ते- मसलन भारत-कनाडा, अमेरिका रूस चीन, जलवायु परिवर्तन केभयंकर आघात जो अनेक देशों में बाढ़, भूस्खलन, आग जैसे अनेक घटनाओं से एक बार फिर दुनियां की अर्थव्यवस्थाओं के पीछे धकेलने का क्रम जारी है। जिस तरह के आंकड़े वर्तमान में आ रहे हैं उनमें अगले साल व्यापार में भारी नरमी के चलते इसका रूप महामंदी के तौर पर बढ़ जाए इसके लिए इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जिस तरह अनेक देशों की थोक चिल्लर महंगाई दर बढ़ रही है, इसके उपायों में लगातार ब्याज दरों को बढ़ाया जा रहा है, जिससे महंगाई कम होते दिखी भी लेकिन यह आंकड़ों का खेल है,इसमें जमीनी स्तर पर अधिक फर्क नहीं पड़ा है। परंतु इसके उलट भारत की स्थिति अपेक्षाकृत सुदृढ़ है, परंतु फिर भी जमीनी स्तरपर देखा जाए तो भारत में भी खुदरा मुद्रा स्थिति दर, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक, महंगाई दर सूचकांक पिछले महीनों से करीब दुगना हो रहा है। बाकी दुनिया: फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड की तरह ही स्विट्जरलैंड के स्विस नेशनल बैंक ने भी अब ब्याज दरों को बढ़ाने से दूरी बना ली है। कोशिश यही है कि महंगाई पर लगाम लगाई जाए, लेकिन ये बाजार में पूंजी की लागत भी बढ़ा रहा है। इसी तरह तुर्किए, स्वीडन और नॉर्वे ने भी ब्याज दरों को बढ़ाया है, जबकि दक्षिण अफ्रीका, ताईवान, हांगकांग, मिस्र, फिलीपीन्स, इंडोनेशिया और भारत में ब्याज दरें स्थिर हैं।चूंकि अगले साल में महामंदी की संभावनाएं मौजूदा आंकड़े और उनके ट्रेड से यह दर्शा रहे हैं, जिसपर सरकारों को ध्यान देना जरूरी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दुनियां की सभी अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल भारी नरमी देखने को मिल सकती है जो महामंदी का रूप ले सकती है जिसके संकेत मिल रहे हैं। साथियों बात अगर हम मौजूदा विपरीत आंकड़ों की करें तो, मौजूदा वक्त में दुनियां भर की अर्थव्यवस्थाएं नरमी के दौर से गुजर रही हैं। महंगाई को कंट्रोल करने के सभी कदम विफल होते दिख रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा जारी है। खाद्य वस्तुएं भी लगातार महंगी और आम आदमी पहुंच से दूर हो रही हैं। हाल में भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका और पाकिस्तान केबदतर हालात किसी से छिपे नहीं है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अगले साल दुनियां की सभी अर्थव्यव्यवस्थाओं में भारी नरमी देखने को मिलेगी, जो महामंदी की तरह हो सकती है। साल 2023 में किसी तरह दुनियां की इकोनॉमी की नैया पार भी हो जाए, तो अगले साल महामंदी आने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। क्या अमेरिका, क्या यूरोप और क्या एशिया, सभी जगह हालात लगभग समान ही हैं। साथियों बात अगर हम भारत की करें तो, खाने-पीने की चीजों के महंगे होने के साथ जुलाई 2023 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जून 2023 में 4.87 प्रतिशत पर थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार,महंगाई में उछाल का मुख्य कारण जुलाई महीने में सब्जियों और खासकर टमाटर की कीमतों में तेज उछाल आना है। जुलाई में कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स के 7.44 प्रतिशत पर पहुंचने के साथ देश में मुद्रास्फीति का स्तर पिछले पांच महीनों में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक लेवल 2-6 प्रतिशत के पार पहुंच गया गया है। इसके अलावा उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक जून में 4.49 प्रतिशत से बढ़कर 11.51 प्रतिशत पर पहुंच गया। जुलाई में भारत की ग्रामीण मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 4.78प्रतिशत से बढ़कर 7.63 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी मुद्रास्फीति जून 2023 में 4.96 प्रतिशत से बढ़कर 7.20 प्रतिशत हो गई।सब्जियों की मुद्रास्फीति दर में तेज वृद्धि देखी गई और जुलाई 2023 में यह सालाना आधार पर बढ़कर 37.34 प्रतिशत हो गई। इसके अलावा खाद्य एवं पेय पदार्थों की महंगाई दर का स्तर जून 2023 में 4.63 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई 2023 में 10.57 प्रतिशत हो गया। अनाज की महंगाई दर जून 2023 में 12.71 फीसदी से बढ़कर 13.04 फीसदी हो गई। साथियों बात अगर हम भारत कनाडा के बिगड़ते रिश्तों से अर्थवयवस्था पर प्रभाव की करें तो, कुछ व्यापार सौदे जो होने थे, उन्हें भी फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। दोनों देशों के बीच बिगड़ते हालातों ने काफी तनाव पैदा कर दिया है।कनाडा भारत के बीच साल 2023 में कारोबार 8 बिलियन डॉलर यानें 67 हजार करोड़ रुपये का था, ऐसे में अगर तनाव बढ़ता चला गया तो इससे इकोनॉमी को करीब 67 हज़ार करोड़ का नुकसान होने की संभावना हैइकोनॉमी वॉर के बाद अब आम पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। कनाडा-भारत विवाद के चलते आम आदमी के किचन का बजट बिगड़ने की संभावना है। वहीं, देश में महंगाई कम होने की बजाए बढ़ सकती है।अगर भारत कनाडा विवाद लंबे समय तक चला तो दाल की सप्लाई में कमी आ सकती है। मसूर की आपूर्ति प्रभावित होने से इसकी कीमतों पर असर दिखेगा। देश में दाल के दाम बढ़ सकते हैं। गौरतलब है कि सरकार पिछले कुछ महीनों से दालों की महंगाई को काबू करने के लिए कई कदम उठा चुकी है। सरकार की ओर से दलहन इंपोर्ट की शर्तों में ढील दी गई है। इसके अलावा घरेलू स्तर पर स्टॉक लिमिट भी लगाई गई है। हालांकि सरकार की ओर से की गई तमाम कोशिशों केबावजूद दालों की महंगाई कम होने के बजाय लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कनाडा विवाद भी दालों की महंगाई कम होने के बजाय और बढ़ सकती है। साथियों बात अगर हम अमेरिका और विश्व की करें तो, फेडरल रिजर्व से लेकर ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड तक और भारत में भारतीय रिजर्व बैंक, सभी ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए बीते साल लगातार ब्याज दरों को बढ़ाया। इससे आंकड़ों में महंगाई नरम होती दिखी, लेकिन जमीनी हकीकत पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, उल्टा इससे बाजार में पूंजी की लागत बढ़ी है। हालांकि पश्चिमी देशों में महंगाई जहां अपने चरम पर है और हालात में बहुत सुधार नहीं है, वहीं भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर है।इस बीच फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड दोनों ने ब्याज दरों में कमी तो नहीं की है, लेकिन आगे इन्हें बढ़ाने की संभावना बरकरार रखी है। *संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

अमेरिका में दुनियां का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनकर तैयार - उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को होगा

अमेरिका का भव्य अद्भुत अक्षरधाम मंदिर दुनियां में अभूतपूर्व दुर्गम रिकॉर्ड कायम करेगा अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर में भारतीय कला, वास्तुकला, संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पाने का स्वर्णिम अवसर होगा - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत संस्कृति, वास्तुकला व आध्यात्मिकता का गढ़ रहा है जो हजारों वर्ष पूर्व के भारतीय इतिहास में हमें देखने को मिलता है। समय का चक्र चलता रहा और पावन भारतीय भूमि ने अनेक विपत्तियों के साथ अंग्रेजों का शासन अखंड भारत का विघटन भी देखा और सामाजिक उतार-चढ़ाव के चक्र ऐसे चले कि अनेक भारतीय नागरिक पूरी दुनियां में अलग अलग देश में जाकर बसते चले गए और उनका कुनबा बढ़ने के साथ, रिश्तेदार, जानकार, जान पहचान वाले अन्य लोगों सहित नौकरी पेशे के हित में लाखों भारतीय विदेश में बसते चले गए, परंतु उनकी जड़े तो भारत से ही थी उन्होंने वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में अपनी खुशबू बिखेर दी, बौद्धिक क्षमता, नेतृत्व कला अपनी संस्कृति आध्यात्मिकता के गुणों से अनेक देशों में वहां के नागरिकों को प्रभावित कर उन देशों के सबसे प्रमुख पदों पर जाकर आसीन हुए हैं। यहां तक कि ब्रिटेन, सिंगापुर के पीएम और अमेरिका के उपराष्ट्रपति सहित अनेक देशों में अनेक प्रमुख राजनीतिक शासकीय पदों पर विराजमान हैं। यह सब तो हम जानते ही हैं परंतु दिनांक 25 सितंबर 2023 को देर शाम अमेरिका में दुनियां के दूसरे सबसे बड़े मंदिरअक्षरधाम का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को होने की जानकारी मीडिया में आने से भारत सहित पूरे विश्व में निवासी भारतवंशियों के हृदय गर्व से झूम उठे। खासकर भारत से सात समंदर पार विश्व के दूसरे सबसे बड़े मंदिर के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा उठ पड़ी हैइसके उद्घाटन में अनेक देशों, अमेरिकी शासन व राजनीति के कुछ प्रमुख चेहरे भी होंगे। मेरा एक सुझाव है कि इस गौरवविंत क्षण का साक्षी बनने के लिए भारत सरकार के प्रमुख और अमेरिकी सरकार के प्रमुख की उपस्थिति सुनिश्चित करने की कोशिश की जाए तो अभूतपूर्व इतिहास बन जाएगा। चूंकि अमेरिका में 8 सितंबर 2023 को दुनियां के दूसरे सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन हो रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर से भारतीय कला, वास्तुकला संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पानें का स्वर्णिम अवसर होगा। साथियों बात अगर हम इस हिंदू मंदिर के बारे में जानने की करें तो, इस मंदिर का डिजाइन भारत में ही किया गया था। यूरोप के कई हिस्सों से पत्थर निकाले गए और फिर भारत भेजा गया, जहां इसे तराशा गया। फिर इसे अमेरिका भेज दिया गया। भारत के बाहर निर्मित दुनियां के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को न्यू जर्सी में होने वाला है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लगभग 90 किमी दक्षिण में या वाशिंगटन डीसी से लगभग 289 किमी दूर उत्तर में, न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंद‍िर को 12,500 से अधिक की वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है।अपने जटिल डिजाइन, आध्यात्मिक महत्व और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, स्वामीनारायण अक्षरधाम मानव समर्पण,परंपरा और कलात्मकता के प्रमाण के रूप में खड़ा है। इस ग्रैंड टेंपल का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था। इसका उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को महंत स्वामी महाराज और अन्य लोगों की ओर से किया जाएगा। मंदिर का डिज़ाइन प्राचीन ज्ञान का सच्चा प्रमाण है, जिसमें हिंदू धर्मग्रंथों और संस्कृति से लिए गए तत्व शामिल हैं। इसकी विस्मयकारी विशेषताओं में 10, हज़ार मूर्तियाँ और मूर्तियाँ, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की जटिल नक्काशी और बहुत कुछ हैं। यह वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति उस समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है जो इसका प्रतिनिधित्व करती है। प्रभावशाली 255 फीट x 345 फीट x 191 फीट माप वाला, न्यू जर्सी अक्षरधाम मंदिर संभवतः विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है, जो केवल कंबोडिया के अंगकोर वाट से आगे है। मंदिर परिसर में एक मुख्य मंदिर, 12 उप-मंदिर, नौ शिखर (शिखर जैसी संरचनाएं) और नौ पिरामिड शिखर हैं, जिसमें पारंपरिक पत्थर वास्तुकला का अब तक का सबसे बड़ा अण्डाकार गुंबद है। यह मंदिर भारत के बाहर आधुनिक समय में बना दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को बनाने में चार तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लाइम स्टोन, पिंक सैंडस्टोन, मार्बल ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है। लाइमस्टोन को बुल्गारिया और तुर्की, मार्बल को ग्रीस और इटली, ग्रेनाइट को भारत और चीन से लाया गया था। सैंडस्टोन भी भारत से लाया गया। मंदिर परिसर में एक ब्रह्मकुड भी है, जिसमें भारत की पवित्र नदियों और अमेरिका की नदियों का पानी है। साथियों बात अगर हम मंदिर की आध्यात्मिकता और इतिहास की करें तो, एक स्वयंसेवक नेमीडिया से कहा,मेरे गुरु और उन्होंने मेरे लिए जो किया, यही कारण था कि मैं सब कुछ छोड़कर यहां आ पाई। वह मेरी प्रेरणा थे। उन्होंने बहुत प्रेरणादायक जीवन जीया है। अपनी भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने और फैलाने के लिए यहां एक स्मारक, एक महामंदिर बनाया गया। आगे कहा कि यह मेरी पहचान का एक हिस्सा है कि मैं एकहिंदू-अमेरिकी के रूप में कौन हूं? यह किसी बड़ी चीज का हिस्सा बनने का एक तरीका था। कुछ ऐसा जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। यह सिर्फ मेरे लिए कुछ नहीं है, बल्कि यह आपको धन्यवाद कहने और जीवन भर के लिए प्रभाव डालने का एक छोटा सा तरीका है।यह मंदिर अमेरिका का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम है। इसे बनाने में करीब 15 वर्ष लगे। यह 183 एकड़ में फैला हुआ है।भारत के बाहर बनाया गया यह भव्य मंदिर19वीं सदी के हिंदू आध्यात्मिक गुरु भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। मंदिर में भारतीय इतिहास को तराशा गया है। मंदिर को सभी श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। इससे वे भारतीय कला,वास्तुकला और संस्कृति सीखेंगे। यह मंदिर इस राष्ट्र के ताने-बाने को जोड़ता है। यह न केवल कई अमेरिकियों के लिए जश्न मनाने का गर्व का क्षण है। यह एक ऐसा स्थान होगा जहां हम सबको ला सकते हैं। वे न केवल संस्कृति, कला के बारे में सीखेंगे, बल्कि तीन दिन से लेकर तीन साल तक के 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों की भक्ति के बारे में भी जानेंगे। इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार बनाया गया है और इसमे मूर्तियों एवं प्रतिमाओं, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी सहित प्राचीन भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है।भारत के बाहर बनाया गया 12वीं सदी में निर्मित अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जो 500 एकड़ में फैला है। यह यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) का विश्व धरोहर स्थल है। नई दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर 100 एकड़ में बना है। इसे 2005 में आम लोगों के लिए खोला गया था। स्वामी ने कहा कि, हमारे आध्यात्मिक नेता (प्रमुख स्वामी महाराज) का दृष्टिकोण था कि पश्चिमी गोलार्ध में एक ऐसा स्थान होना चाहिए जो न केवल हिंदुओं के लिए, न केवल भारतीयों के लिए, न केवल कुछ समूहों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए होनाचाहिए। जहां लोग आ सकें और हिंदू परंपरा में आधारित कुछ मूल्यों,सार्वभौमिक मूल्यों को सीख सकें।यहांइतिहास को तराशा जा रहा है। मंदिर को सभी आगंतुकों के लिए खोला जाएगा। इससे वे भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति सीखेंगे। यह मंदिर इस राष्ट्र के ताने-बाने को जोड़ता है। यह न केवल कई अमेरिकियों के लिए जश्न मनाने का गर्व का क्षण है, लेकिन जब मैं अपने पड़ोसी जो को लेकर आया तो वह भी भारतीय संस्कृति, भारतीय कला और विशेष रूप से हिंदू धर्म के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक था। यह एक ऐसा स्थान होगा जहां हम उन्हें ला सकते हैं। साथियों बात अगर हम हिंदू मंदिर के उद्घाटन की करें तो,न्यू जर्सी अक्षरधाम में एक स्वयंसेवक ने मीडिया को बताया कि यह स्मारकीय स्थान सभी को सांत्वना और शांति प्रदान करेगा। बता दें कि यह उद्घाटन समारोह लगभग एक हफ्ते तक चलेगा, जिसमें कई अमेरिकी कांग्रेसियों, सीनेटरों बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य के गर्वनर शामिल होंगे। एक रोचक बात यह है कि नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला हुआ है। यह मंदिर 100 एकड़ में फैला हुआ है। वहीं, अमेरिका का अक्षरधाम मंदिर भी रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तैयार है। स्वामीनारायण संस्था ने भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 1,400 मंदिरों का निर्माण किया है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका में दुनियां का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनकर तैयार - उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को होगा।अमेरिका का भव्य अद्भुत अक्षरधाम मंदिर दुनियां में अभूतपूर्व दुर्गम रिकॉर्ड कायम करेगा।अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर में भारतीय कला, वास्तुकला संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पाने का स्वर्णिम अवसर होगा। *-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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